Monday 14 August 2017

“बस ये उपकार तुम कर दो...”

मिट्टी से बने हैं हम-तुम,मिट्टी में ही मिल जाना है|
खाली हाथ आये थे,साथ क्या लेकर जाना है|
जब तक जीवन है साथी,शिष्टाचार से जीवन बिता लो|
नश्वर देह रूपी यह चोला,यही छोड़कर जाना है||
जीवन का है मूल-मंत्र ये,प्रेम के ढाई आखर पढ़ लो|
जुगाड़ और “व्यवहार” बनाकर,सफलता के नए सोपानें चढ़ लो|                
बचपन के दिन भुला न देना,यौवन का उद्देश्य याद रखो|
दूसरों के सुख की ईर्ष्या में,अपना वक़्त न बर्बाद करो||
यौवन से परिपूर्ण यह शरीर,कुछ सालों बाद बुढा हो जायेगा|
अपनी करनी का दुष्प्रभाव,रह-रह कर तुम्हें सतायेगा|
पश्चाताप की अग्नि में,तू जल-जल कर फड़फड़ायेगा |
उसी अग्नि में चिता जलेगी तेरी,और फिर तू गंगा में बह जायेगा||
व्यर्थ हुआ सब जीवन सारा,आ सका देश के काम नहीं|
कब आया और चला गया तू,इसका लोगो को तनिक भी ज्ञान नहीं||
इसलिये,
कर्म तू अपना किये जा बन्धु,फल की चिंता छोड़ दे|
भ्रष्टाचार मुक्त स्वच्छ व्यवस्था देकर,राष्ट्र को उन्नति की मोड़ दे|
जीवन सफल होगा तब तेरा,मातृभूमि का ऋण चुक जायेगा|
आँखों से ओझल होगा जरुर तू,पर लोगों के दिलों में हमेशा याद आयेगा||
“स्वच्छ रहिये,स्वस्थ रहिये”
“भारत माता की जय|जय हिन्द|वन्दे मातरम्|”



Wednesday 23 March 2016

“होली की शुभकामनाएं...”

मेरे “धवल” अंतर्मन पर,
कभी “केसरिया’ की तरुणाई बिखरी,
कभी किसी ने हरियाली का “हरा” रंग डाला |
चक्र “अशोक” की नीलिमा लेकर मैंने भी,
अंतर्मन में ही “तिरंगा” सजा डाला|
रंगों के महाकुम्भ “होली” पर्व की सभी को हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं|
                     “स्वच्छ रहिये,स्वस्थ रहिये”
             “भारत माता की जय|जय हिन्द|वन्दे मातरम्|”

Sunday 3 January 2016

“नव वर्ष की शुभकामनाएं...”

“प्रेम का नव अंकुर फूटे,उर्जा-उमंग नव परवान चढ़े|
पुष्पों सी महके ज़िन्दगी आपकी,आसमान छूने नित कदम बढे|
दुखदायी बने जो पल,उन्हें भुलायें|
मधुर स्मृतियों से,आइये नव वर्ष को गले लगायें|”
इक्कीसवी सदी के इस “तरुण वर्ष” 2016 की सभी को हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं|

                         “स्वच्छ रहिये,स्वस्थ रहिये”
                  “भारत माता की जय|जय हिन्द|वन्दे मातरम्|”

Monday 3 August 2015

“दामन में दाग...हर किसी के है”

        “लागा चुनरी में दाग,छिपाऊँ कैसे,घर जाऊँ कैसे?” जी हाँ| बीते ज़माने के गीतकार साहिर लुधियानवी जी के लिखे इन पंक्तियों को सामान्य अर्थ में समझा जाये तो यूँ लगता है की नायिका की चुनरी में दाग लग गयी है और वह इसे छिपाने और छिपाकर घर जाने के यत्नों के बारे में पूछ रही है|वह कुछ ज्यादा ही चिन्तित हो रही है इस दाग को लेकर परन्तु आज के दौर में इस प्रकार की चिंता को तो यूँ ही दरकिनार कर दिया जाता है|बात चाहे राजनीती की हो या खेल की या फिर कोई भी क्षेत्र हो,हर जगह “दागी” लोगों का ही बोलबाला दिख रहा है बल्कि आजकल तो हालात कुछ यूँ बन गए हैं कि बिना “दाग” के रौब नही| फर्क बस इतना है की किसी के “दाग” जनता के सामने प्रत्यक्ष रूप से प्रकट हो रहे हैं तो कोई बंद कमरों में “दागी” बन रहा है|कोई शक्ति प्राप्ति के पश्चात् “दागी” बन रहा है तो कोई “दागी” होने के बाद भी शक्ति प्राप्त कर रहा है|”दागी” होना तो आजकल एक फैशन सा बना गया है|हमारे देश को जहाँ पहले “सोने की चिड़िया” और “जगद्गुरू” आदि नामों से जाना जाता था तो वर्तमान में हमारी छवि एक घोटालेबाज और भ्रष्ट देश के रूप में दुनिया में प्रसिद्ध है|वर्ष 2014 की “एसोसिएशन ऑफ़ डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स” नामक संस्था की रिपोर्ट के अनुसार,देश की दो सबसे बड़ी राष्ट्रीय पार्टी में औसतन 30 फीसदी सांसद ऐसे थे जिन पर क्रिमिनल केस पेंडिंग थे|वैसे आज़ादी के सडसठ बरस बीत जाने के बाद भी हमें कोई ऐसा मुखिया नहीं मिल पाया है जिसका दामन दागदार न हुआ हो|कुछेक जरुर मिल जायेंगे पाक साफ़,पर उनकी गिनती महज उँगलियों में ही है|अब इसे भारतीय राजनीती के ऊपर लगा कलंक कहें या फिर हम भारतीयों का दुर्भाग्य|नेहरु से लेकर वर्तमान में मोदी तक लगभग सभी प्रधानमंत्रियों के ऊपर दाग तो लगे ही हैं| |एक ज़माना हुआ करता था जबकि लोग आरोप लगने के साथ ही अपने पद से इस्तीफा दे देते थे|आज तो स्थिति और भी भयावह हो गयी है|विपक्ष “नैतिकता” के नाम पर इस्तीफा मांगने का कोई मौका गंवाना नहीं चाहता तो वही दूजी ओर सत्ता पक्ष के “दागी” भी अपनी नैतिकता गंगा नदी में विसर्जित कर आये हैं|मेरे विचार से,उन्हें उन विपक्षी नेताओं के बजाय जनता के लिए सोचना चाहिए कि उनके इस कदम से कैसा संदेश प्रसारित हो रहा आम लोगों बीच|इन सबसे इतर चुनावों में बातें तो बड़ी-बड़ी की जाती हैं|ऐसा प्रतीत होता है मानो यही नेता भारत माँ का सच्चा सपूत है|पर सत्ता प्राप्ति के साथ ही नेता जी के सुर ऐसे बदलते हैं जैसे गिरगिट रंग बदलता है|इन सबके बाद भी पूरी बेशर्मी के साथ बयानबाजी करते हैं और अपने को सबसे बड़ा राष्ट्रभक्त बताने में भी ऐसे लोगों को तनिक भी परहेज नहीं है|हालात तो आजकल यूँ हो गए हैं कि हमारे राष्ट्रभक्त नेता जिस भी क्षेत्र में हाथ आजमाते हैं,वहीँ से अभूतपूर्व तरीके से घोटाले उभरकर सामने आ जाते हैं और दामन मैला कर जाते हैं|फिर चाहे वो क्रिकेट हो या फिर कामनवेल्थ खेल या कुछ और|ऐसा नहीं है कि ऐसे “दागी” केवल राजनीती में ही हैं|देश में धर्म माना जाने वाला क्रिकेट का खेल भी इससे अछुता नहीं रहा है|1996 और 1999 के बीच फिक्सिंग के दाग ने उभरते खिलाडियों का जीवन बर्बाद करके रख दिया था और ये सिलसिला आज भी बदस्तूर ज़ारी है|आईपीएल में सामने आये फिक्सिंग के मामले इसके जीवित उदहारण हैं|एक ज़माने में क्रिकेट को “जेंटलमेंस गेम” कहा जाता था पर आज तस्वीर पूरी तरह उलट है|मैदान पर आक्रामकता के नाम पर जिस प्रकार स्लेजिंग और अभद्र इशारे किये जाते हैं,उसने इस खेल को दागदार बना दिया है|बहरहाल,लोगों के दामन मैले तो हो ही रहे हैं चाहे वो परदेस में बैठा ललित मोदी करे या देश में ही मौजूद “दामाद” | या फिर देश में ही मौजूद शाही संपत्ति या फिर “दिल” में मौजूद व्यापमं|
                                     “स्वच्छ रहिये,स्वस्थ रहिये" 
                        “भारत माता की जय|जय हिन्द|वन्दे मातरम्|”

Sunday 19 July 2015

“बजरंगी भाईजान:सोच से परे और उम्मीद से कहीं बेहतर”

      जी हाँ|बात हो रही है “बजरंगी भाईजान” की|एक ऐसी फिल्म जिसकी शायद कोई कल्पना भी नहीं कर सकता|एक मूक पाकिस्तानी बच्ची,एक नवयुवक “हनुमान” भक्त और एक जिंदादिल पत्रकार,इन तीनों के इर्द-गिर्द घुमती हुई इस फिल्म की पटकथा बहुत ही बेहतरीन ढंग से लिखी गयी है|दिल्ली और आसपास के क्षेत्रों के दृश्य तो सामान्यतया हरेक फिल्म में दिख जाते हैं लेकिन कश्मीर और उसके आसपास के इलाकों का जिस तरह से फिल्मांकन किया गया है,वह अद्भुत है| “धरती के स्वर्ग” कश्मीर की खूबसूरती इस फिल्म में पूर्ण रूप से निखर कर सामने आई है या यूँ कहा जाये की सामने लायी गयी है|वैसे वर्तमान समय में जब चारों ओर इस बात की दौड़ लगी है कि किसकी फिल्म ज्यादा कमाई कर रही है,इस प्रकार की फिल्मों का परदे पर आना एक सुखद एहसास देता है|फिल्म को रुपहले परदे पर आये आज तीन दिन हो गए हैं,लिहाजा कहानी तो सबको पता चल ही गयी है|व्यावसायिक सिनेमा और प्रतिस्पर्धा के इस दौर में इस प्रकार की फिल्में समाज को एक सही दिशा प्रदान कर सकती हैं|एक ना बोल सकने वाली बच्ची,जिंदगी की जद्दोजहद में फँसा हुआ एक युवक और एक अंजान मुल्क,इन तीनों के संयोग से फिल्म की कहानी बेहतर बनती है|एक ऐसी कहानी जिसका सच होना इस देश में वास्तव में बहुत ही असंभव है|अरे!!!कौन है इस देश में जो फिल्म के “बजरंगी” की तरह ही बच्ची की मदद करेगा और उसे उसके परिवार से मिलाने के लिए अपनी जान खतरे में डालकर एक अंजान मुल्क में जायेगा|भगवान बजरंगबली के भक्त तो हजारों मिल जायेंगे पर उनमे से किसी का भी आचरण “बजरंगी” से तनिक भी मेल नहीं खायेगा|वस्तुतः आज तो स्थिति यह हो गयी है कि एक समय के बाद लोग अपने माता-पिता को ही अकेला छोड़ देते हैं,समय आने पर अपने परिवार से ही मूंह फेर लेते हैं तो फिर एक “अपरिचित” के लिए कौन इतना जोखिम उठायेगा|पर वास्तव में इस फिल्म के कहानीकार का कार्य सराहनीय है जिन्होंने आज के इस परिदृश्य में भी इस तरह की भावनात्मक,मानवतावादी और सकारात्मक लेखन का उत्कृष्ट प्रयास किया है और इसी की वजह से ही यह फिल्म और भी अच्छी लग पड़ती है|वैसे रिलीज़ से पहले इस फिल्म के साथ विवादों को भी जोड़ने की काफ़ी साज़िश की गयी थी|कुछ लोगों को फिल्म के नाम से तकलीफ हो रही थी पर सिनेमाघरों में आने के बाद जहाँ इस फिल्म ने अपने शीर्षक को चरितार्थ किया है वहीँ धर्म के तमाम ठेकेदारों के गाल पर करारा तमाचा जड़ा है|इस फिल्म के जरिये यह सन्देश देने का भी बखूबी प्रयास किया गया है कि “मानव-मात्र” की सेवा और सहायता करना ही मनुष्य का सबसे बड़ा धर्म है|
        खैर,इस फिल्म को बहुत ही बेहतरीन तरीके से बनाया गया है और फिल्म से जुड़े सभी लोगों की इसके लिए सराहना की जानी चाहिए| कहा जाता है, “सिनेमा,समाज का आइना होता है”,पर हम यही उम्मीद करते हैं कि यह फिल्म सारे समाज को एक आइना दिखाए और जिस उद्देश्य को ध्यान में रखकर फिल्म बनायीं गयी है,यह उसमे सफल भी हो|मैंने तो देख लिया,अब आप भी देख ही आइये|

                          “जय श्री राम”
                     "स्वच्छ रहिये,स्वस्थ रहिये"
              “भारत माता की जय|जय हिन्द|वन्दे मातरम्|”